ਇਸ ਪਿੰਡ ਚ ਚਲਦੇ ਚਲਦੇ ਸੋਂ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਲੋਕ ਅਤੇ ਹਫਤਿਆਂ ਤਕ ਨਹੀਂ ਜਾਗਦੇ..ਰਹਸ ਦੇ ਅਗੇ ਵਿਗਿਆਨ ਵੀ ਹਾਰਿਆ

ਇਸ ਪਿੰਡ ਚ ਚਲਦੇ ਚਲਦੇ ਸੋਂ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਲੋਕ ਅਤੇ ਹਫਤਿਆਂ ਤਕ ਨਹੀਂ ਜਾਗਦੇ। ….ਰਹਸ ਦੇ ਅਗੇ ਵਿਗਿਆਨ ਵੀ ਹਾਰਿਆ

 

ਇਸ ਪਿੰਡ ਚ ਚਲਦੇ ਚਲਦੇ ਸੋਂ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਲੋਕ ਅਤੇ ਹਫਤਿਆਂ ਤਕ ਨਹੀਂ ਜਾਗਦੇ। ….ਰਹਸ ਦੇ ਅਗੇ ਵਿਗਿਆਨ ਵੀ ਹਾਰਿਆ

 

वैसे नींद तो हर किसी को प्यारी है.. कामकाज और दुनियादारी से पस्त होने पर, नींद के आगोश में जाकर ही सकून मिलता है । रात की अच्छी नींद आपका अगली सुबह बना देती है, पर अगर यही नींद आपके दिन को चुरा ले तो .. अगर आप चलते फिरते ही नींद के आगोश में जाने लगे और फिर कई दिनों तक नहीं जगें तो.. आप सोच रहे होंगे ऐसा भी होता है भला, तो आपको बता दें कि एक गांव में कुछ ऐसा ही हो रहा है, जहां लोग चलते-चलते सो जाते हैं.. उन्हें सड़क पर, ऑफिस में, मैदान में मतलब कहीं भी और कभी भी नींद आ जाती है। अगर अभी भी आपको अचरज हो रहा है तो चलिए आपको इस गांव और वहां फैले नींद के इस रहस्य के बारे में बताते हैं।

इस में है ये रहस्मय बीमारी

दरअसल कजाकिस्तान का एक छोटा सा गांव है.. कलाची, जहां बीते कुछ कुछ सालों से यहां रहने वाले लोग एक अलग तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। समस्या ये है कि ये लोग कभी भी, चलते फिरते नींद के चपेट में आ जाते हैं। वैसे सो जाने में समस्या नहीं है पर दिक्कत इस बात की है कि  अगर ये एक बार सोतें हैं तो इसका ठिकाना नहीं रहता कि अब कब तक उठेंगे। बताया जाता है कि कई बार तो ये लोग हफ्तों तक ऐसे ही सोते रह जाते हैं। जैसे की मौत के आगोश में चले गए हों, पर फिर एक दिन अचानक उठ भी जाते हैं ।

वैज्ञानिक भी हैं हैरान

ऐसे में गांव के लोगों की ये समस्या देख वैज्ञानिक भी परेशान हैं कि आखिर ये बला है क्या?..  इस तरह वक्त-बेवक्त नींद आने की समस्या के पीछे वैज्ञानिकों ने लंबा चौड़ा शोध भी किया, जिसमें पता चला कि तकरीबन 810 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग 200 लोग इस तरह की समस्या से पीड़ित हैं। वहीं ये भी पता चला है कि इसी नींद में कुछ लोग की मौत भी हो गई है।

वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ये सामने आया कि क्षेत्र में कार्बन मोनो ऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन का स्तर सामान्य से कहीं अधिक है, जिसकी वजह से यहां के लोगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है और लोग इस तरह की रहस्यमयी नींद के शिकार हो रहे हैं। पर ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इस रहस्यमयी नींद की पीछे की वजह ये है तो इसका असर गांव के सभी लोगों पर पड़ना चाहिए,सिर्फ कुछ लोग ही इससे पीड़ित क्यों हैं?

सामने आई ये वजह

वैसे जब इसका पहला कारण मान्य नहीं हो सका तो वैज्ञानिकों ने फिर से शोध किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इस क्षेत्र में बंद पड़े यूरेनियम की खादानों से काफी मात्रा में कार्बन मोनो ऑक्साइड निकल रही है, जो कि लोगों में इस तरह की समस्या उत्पन्न कर रही हैं… हालांकि सवाल अभी भी वही है कि दूसरे लोगों पर इसका असर क्यों नहीं।इस तरह ये समस्या पिछले 8 सालों से गांव वालों के साथ-साथ कजाकिस्तान के वैज्ञानिकों को भी परेशान कर रही है। ऐसे में इसका कोई भी निश्चित कारण और हल निकलते ना देख सरकार ने फिलहाल, इस गांव के लोगों को वहां से निकाल लिया है और उनके रहने का प्रबंध दूसरी जगह कर दिया है।


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