ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਤੁਸੀਂ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਕ ਨਾਅਰਾ ਸੁਣਿਆ ਹੋਵੇਗਾ ਕਿ ‘ਸੰਗਠਨ ਵਿਚ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ’. ਪਰ ਇਹ ਨਾਅਰਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਬਾਈਕ ਟਾਇਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੋਸਤ ਆਪਣੀ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਮਦਦ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਪਿੰਕਿਆ ਹੋਇਆ ਦੁਕਾਨ ਤੇ ਪਹੁੰਚਣ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਕਰੇਗਾ. ਜਦੋਂ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਬਾਲਕੋਨੀ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਦੋਸਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮੋਢਿਆਂ ਤੇ ਲਿਆਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਲਿਆਉਂਦੇ ਹਨ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਜਦੋਂ ਇਮਤਿਹਾਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ 5 ਦੋਸਤ ਹਰ ਅਧਿਆਇ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਨੂੰ ‘ਟੀਮ ਦਾ ਕੰਮ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.
ਕਿਸੇ ਵੀ ਤਰ੍ਹਾਂ, ਜਦੋਂ ‘ਟੀਮ ਦਾ ਕੰਮ’ ਅਤੇ ‘ਜੁਗਾੜ’ ਇੱਕਠੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਮੁਸ਼ਕਲ ਕੰਮ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਅੱਜ ਅਸੀਂ ਫੋਟੋ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਤੁਹਾਡੇ ਸਾਹਮਣੇ ਕੁਝ ਅਜਿਹੇ ਕੰਮ ਪੇਸ਼ ਕਰਨ ਜਾ ਰਹੇ ਹਾਂ ਬਸ ਇਸ ਨੂੰ ਵੇਖੋ ਯਕੀਨਨ ਇਹ ਤਸਵੀਰਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਪਿਨ ਬਣਾ ਦੇਣਗੀਆਂ
संगठन (organisation) वह सामाजिक व्यवस्था या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों की समीक्षा करते हुए स्वयं का नियन्त्रण करती है, तथा अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है। संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं – सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक आदि।
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्यशील होते हैं तो संगठन की आवश्यकता पड़ती है। उद्देश्य के अल्पकालीन होने से संगठन की आवश्यकता में कमी नहीं आती।
यदि कुछ व्यक्तियों को मिलकर भारी वजन उठाना हो तो इस क्षणिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए संगठन की आवश्यकता होती है। किसी भी व्यावसायिक उपक्रम के लिए व्यवसाय प्रारंभ करने के पूर्व से उसको संचालित करने के लिए संगठन का निर्माण कर लिया जाना चाहिए। बगैर संगठन के किसी भी उद्देश्य की प्रभावपूर्ण ढंग से पूर्ति संभव नहीं है। एक अच्छा संगठन किसी निष्क्रिय उपक्रम को भी जीवन प्रदान कर सकता है।
वैसे भी जब ‘टीम वर्क’ और ‘जुगाड़’ आपस में मिलते हैं तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से किया जा सकता है। आज हम आपके सामने ऐसे ही कुछ कामों को तस्वीरों के जरिए पेश करने जा रहे हैं।
जरा गौर से देखिएगा। यकीनन ये तस्वीरें आपको गुदगुदाएंगी।
ऐतिहासिक अटैक
आपने लोगों को जुएं निकालते हुए तो कई बार देखा होगा मगर क्या कभी उन पर इतना बड़ा अटैक होते हुए देखा है?
सबसे जबरदस्त ग्रुप स्टडी
ग्रुप में पढ़ने से फायदा होता है। ऐसे में ग्रुप में पढ़ने से कभी कोई कंफ्यूजन नहीं रहता क्योंकि अगर एक चीज एक को समझ नहीं आती तो दूसरा उसे अच्छे से समझ लेता है।
ग्रुप स्टडी करने के पीछे सबसे बड़ा मकसद ये होता है कि सब एक-दूसरे की मदद कर सकें। यहाँ देखिये कितनी अच्छी तरह एक-दूसरे की मदद की जा रही है।
ये हैं सच्चे दोस्त
जय-वीरू की जोड़ी
जुगाड़ बना देती है जिंदगी आसान
अगर आपको जुगाड़ करनी आती है तो आपके लिए जिंदगी में कोई काम मुश्किल नहीं हो सकता।
क्या अापने किया है कभी ऐसा?
हम सभी को अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कभी न कभी ऐसा करने की जरूरत पड़ ही जाती है।
इसे कहते हैं हटकर सोचना
एक तरफ जहाँ भीड़ अपना काम करवाने के लिए पागल हुई जा रही है वहीं इन्होंने देखिये अपना काम करवाने का कितना जबरदस्त तरीका खोज निकाला है।
‘लव के लिए साला कुछ भी करेगा’
हम साथ-साथ हैं
जब एक दोस्त हो अमीर
ऐसा नजारा तो पहले कभी नहीं देखा होगा
ये हैं सच्चे जुगाड़ू
दो लोगों का ऑटो एक साथ खराब हो गया मगर सच्चे जुगाड़ू होने के नाते उन्होंने हार नहीं मानी। वो तीसरे की मदद लेकर मंजिल तक पहुंचे।
जुगाड़ के मामले में पुलिस वाले भी कम नहीं
आपातकालीन खिड़की का दूसरा उपयोग
जब सिर्फ रूमाल से बात न बन रही हो
जरा संभलकर
खंबे पर चढ़े इस आदमी को कितना खतरा है, आप समझ ही गए होंगे।
जब डेडलाइन नजदीक हो
जब डेडलाइन नजदीक हो और रिसोर्सेस उपलब्ध न हों तो इस तरह काम पूरा किया जाता है।