ਇਹ ਖਬਰ ਓਹਨਾ ਸਾਰੇ ਸੱਜਣਾ ਲਈ ਬਹੁਤ ਜਰੂਰੀ ਹੈ ਜੋ ਲੋਇਲਟ ਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਫੋਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਖਤਰਨਾਕ ਹੈ ਦੇਖੋ ਕਿਵੇਂ। …….
पिछले कुछ सालों में फ़ोन नाम की महामारी फैली है. ऐसी महामारी जो सच में हमें किसी दिन महामारी का शिकार बना कर ही मानेगी. हल्के होते वक़्त फ़ोन को निहारना एक अलग ही तरह का एक्सपीरियंस है. लेकिन ये सुख तब दुःख में बदलने लगा जब मैंने आज सुबह मैंने टॉयलेट में बैठकर, ‘टॉयलेट में फ़ोन इस्तेमाल करने’ के नुकसान पढ़े. मतलब फ़ोन हाथ से छूटकर पॉटी में गिरने ही वाला था.
ये डाटा सोनी के एक रिसर्च से पता चला, जो उन्होंने अमेरिका के लोगों पर किया था.
ये डाटा सोनी के एक रिसर्च से पता चला, जो उन्होंने अमेरिका के लोगों पर किया था.
खाते और हगते समय फ़ोन यूज़ ना करें
नहीं, आपके इस्तेमाल से मुझे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन आपको भरपूर दिक्कत आ सकती है. क्योंकि आपके फ़ोन का बैक पैनल या कवर पहले से ही बहुत गंदा होता है. उसके बाद आप उसे लेकर टॉयलेट में बैठ जाते हैं. और पॉट पर इतनी गंदगी और बैक्टीरिया होती हैं कि उसके आसपास जाने भर से भी फ़ैल जाती हैं. जब आप फ़ोन इस्तेमाल करते हुए हल्के हो रहे होते हैं, तब वहां बैक्टीरिया उड़-उड़कर आपके हाथों और फ़ोन पर चिपक रही होती हैं. आपने तो धो-धा के हैंडवाश कर लिया. हाथ तो साफ़ हो गया लेकिन फोन वैसे ही गंदा है. आप उसे वापस उठा कर निकलेंगे और आपका हाथ धोना बेकार हो जाएगा. क्योंकि फ़ोन वाली गंदगी अब आपके हाथ पर लग गई है.
टॉयलेट में फ़ोन इस्तेमाल करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
टॉयलेट में फ़ोन इस्तेमाल करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
खाना खाते वक़्त भी फ़ोन ना ही यूज़ करें. बड़ा ही घिनहा प्रोसेस है. मान लीजिये आप खाना खा रहे हैं और फ़ोन चला रहे हैं. आप मैसेज टाइप कर रहे हैं, ऊपर-नीचे स्क्रॉल कर रहे हैं. लेकिन आप शायद भूल गए हैं कि ये वही टॉयलेट वाला ही फ़ोन है.
कई खतरनाक बैक्टीरिया निकलते हैं यार
टॉयलेट से कुछ 3-4 बैक्टीरियाज़ निकलते हैं. नाम है साल्मोनेला, शिगेला, इकोल और कैम्पिलोबैक्टेर टाइप का कुछ. लेकिन वो हमारे फ़ोन पर काहे चिपक जाते हैं?
क्या है कि फ़ोन चलाते वक़्त गर्म हो जाता है. और उसके ऊपर लगा रबर वाला कवर बैक्टीरियाओं के लिए ऐशगाह बन जाता है. मतलब बैक्टीरिया लोग को पलने और आराम से रहने के लिए गर्म जगह चाहिए. इसीलिए वो टॉयलेट में रहती हैं. अब ये बैक्टीरिया हमारे फ़ोन से हमारे हाथ और फिर हमारे खाने में चले जाते हैं.
बैक्टीरियाज़ यहां इतनी बड़ी दिख रही हैं, टॉयलेट में नहीं दिखती हैं.
बैक्टीरियाज़ यहां इतनी बड़ी दिख रही हैं, टॉयलेट में नहीं दिखती.
घर वाला टॉयलेट तो फिर भी ठीक है. अगर ऑफिस वाले टॉयलेट में चले गए फ़ोन चलाते हुए तो खतरा ज्यादा है. वहां तो और भी बहुत सारे लोग आते हैं. इसलिए और भी नए-नए टाइप की बैक्टीरियाज़ मिलेंगे.
जिंदगी में एक ही तो ढंग की चीज़ बची थी, वो भी छिन गई.
कभी-कभी फ़ोन टॉयलेट में फ़ोन लेकर जाना बहुत ही महंगा पड़ सकता है.
कभी-कभी फ़ोन टॉयलेट में फ़ोन लेकर जाना बहुत ही महंगा पड़ सकता है.
ये स्टोरी श्वेतांक शेखर ने की है.
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